लोग सदमों से मर नहीं जाते
सामने की मिसाल है मेरी
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1593) Peoples Rate This
किस क़दर बद-नामियाँ हैं मेरे साथ
क्या बे-मुरव्वती का शिकवा गिला किसी से
जो जल उठी है शबिस्ताँ में याद सी क्या है
मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में
मैं बज़्म-ए-तसव्वुर में उसे लाए हुए था
उन से तन्हाई में बात होती रही
ऐसे देखा है कि देखा ही न हो
हम बुलाते वो तशरीफ़ लाते रहे
ज़िंदगी की ज़रूरतों का यहाँ
नहीं मिलते 'शुऊर' आँसू बहाते
कुछ दिन तो कर तआ'वुन ऐ ख़ुश-सिफ़ात मुझ से
मिरी हयात है बस रात के अँधेरे तक