इस इंतिहा-ए-तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
हम ने लिया है नाम तुम्हारा कभी कभी
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Gulzar
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आग ही आग है गुलशन ये कोई क्या जाने
हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब
न नशेमन है न है शाख़-ए-नशेमन बाक़ी
कारवाँ से कुछ इस तरह बिछड़े
ये दौर-ए-ख़िरद है दौर-ए-जुनूँ इस दौर में जीना मुश्किल है
एहसास-ए-हुस्न बन के नज़र में समा गए
'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
दिए जलाए उम्मीदों ने दिल के गिर्द बहुत
'अर्श' पहले ये शिकायत थी ख़फ़ा होता है वो
बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है
ज़ख़्म-ए-दिल भी दिखा के देख लिया
ये दुनिया है उसे दार-उल-फ़ितन कहना ही पड़ता है