याद दिलवाइए उन को जो कभी वादा-ए-वस्ल
तो वो किस नाज़ से फ़रमाते हैं हम भूल गए
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(699) Peoples Rate This
गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख
बराबर एक से मिस्रा नज़र आते हैं अबरू के
रस्ते में उन को छेड़ के खाते हैं गालियाँ
फिर गया आँखों में उस कान के मोती का ख़याल
हम तो न घर में आप के दम-भर ठहरने आएँ
हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया
यही इंसाफ़ तिरे अहद में है ऐ शह-ए-हुस्न
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
राह-ए-हक़ में खेल जाँ-बाज़ी है ओ ज़ाहिर-परस्त
यार की फ़र्त-ए-नज़ाकत का हूँ मैं शुक्र-गुज़ार
सैर करते उसे देखा है जो बाज़ारों में
कुफ्र-ओ-इस्लाम के झगड़ों से छुड़ाया सद-शुक्र