Love Poetry of Arshad Jamal 'Sarim'

Love Poetry of Arshad Jamal 'Sarim'
नामअरशद जमाल 'सारिम'
अंग्रेज़ी नामArshad Jamal 'Sarim'

ज़िंदगी तू भी हमें वैसे ही इक रोज़ गुज़ार

ज़िंदगी हम से तिरी आँख-मिचोली कब तक

ऐसी ही बे-चेहरगी छाई हुई है शहर में

ये ख़ाकी पैरहन इक इस्म की बंदिश में रहता है

प्यास हर ज़र्रा-ए-सहरा की बुझाई गई है

पलट कर देखने का मुझ में यारा ही नहीं था

नित-नए नक़्श से बातिन को सजाता हुआ मैं

क्या कहूँ कितनी अज़िय्यत से निकाली गई शब

क्या कहूँ कितना फ़ुज़ूँ है तेरे दीवाने का दुख

किश्त-ए-एहसास में थोड़ा सा मिला लेंगे तुझे

फ़ना हुआ तो मैं तार-ए-नफ़स में लौट आया

दिखाती है जो ये दुनिया वो बैठा देखता हूँ मैं

बे-अमाँ हूँ इन दिनों मैं दर-ब-दर फिरता हूँ मैं

बस कि इक लम्स की उम्मीद पे वारे हुए हैं

अरशद जमाल 'सारिम' Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अरशद जमाल 'सारिम'. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अरशद जमाल 'सारिम'. Share the अरशद जमाल 'सारिम' Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.