Coupletss of Arshad Jamal 'Sarim'
नाम | अरशद जमाल 'सारिम' |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshad Jamal 'Sarim' |
कविताएं
Ghazal 15
Couplets 15
Love 14
Sad 12
Heart Broken 16
Hope 8
Social 1
बारिश 2
ख्वाब 3
Sharab 2
ज़िंदगी तू भी हमें वैसे ही इक रोज़ गुज़ार
ज़िंदगी हम से तिरी आँख-मिचोली कब तक
वो इक लम्हा सज़ा काटी गई थी जिस की ख़ातिर
सुपुर्द-ए-आब यूँ ही तो नहीं करता हूँ ख़ाक अपनी
रक़म करूँ भी तो कैसे मैं दास्तान-ए-वफ़ा
न जाने उस ने खुले आसमाँ में क्या देखा
क्या कहूँ कितना फ़ुज़ूँ है तेरे दीवाने का दुख
किस की तनवीर से जल उठ्ठे बसीरत के चराग़
ख़त्म होता ही नहीं सिलसिला तन्हाई का
जाने किस रुत में खिलेंगे यहाँ ताबीर के फूल
इसी बाइस मैं अपना निस्फ़ रखता हूँ अँधेरे में
हर एक शाख़ पे वीरानियाँ मुसल्लत हैं
देख ऐ मेरी ज़बूँ-हाली पे हँसने वाले
बस इतना रब्त काफ़ी है मुझे ऐ भूलने वाले
ऐसी ही बे-चेहरगी छाई हुई है शहर में