आरज़ू लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरज़ू लखनवी (page 4)

आरज़ू लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरज़ू लखनवी (page 4)
नामआरज़ू लखनवी
अंग्रेज़ी नामArzoo Lakhnavi
जन्म की तारीख1873
मौत की तिथि1951
जन्म स्थानKarachi

तुम्हें क्या काम नालों से तुम्हें क्या काम आहों से

तस्कीन-ए-दिल का ये क्या क़रीना

तक़दीर पे शाकिर रह कर भी ये कौन कहे तदबीर न कर

तलाश-ए-रंग में आवारा मिस्ल-ए-बू हूँ मैं

तड़पते दिल को न ले इज़्तिराब लेता जा

रस उन आँखों का है कहने को ज़रा सा पानी

क़ुर्बत बढ़ा बढ़ा कर बे-ख़ुद बना रहे हैं

पियूँ ही क्यूँ जो बुरा जानूँ और छुपा के पियूँ

फिर चाहे तो न आना ओ आन-बान वाले

फेर जो पड़ना था क़िस्मत में वो हस्ब-ए-मामूल पड़ा

नज़र उस चश्म पे है जाम लिए बैठा हूँ

नाले मजबूरों के ख़ाली नहीं जाने वाले

न कोई जल्वती न कोई ख़ल्वती न कोई ख़ास था न कोई आम था

न कर तलाश-ए-असर तीर है लगा न लगा

मुझ को दिल क़िस्मत ने उस को हुस्न-ए-ग़ारत-गर दिया

मीर-ए-महफ़िल न हुए गर्मी-ए-महफ़िल तो हुए

मिरी निगाह कहाँ दीद-ए-हुस्न-ए-यार कहाँ

मिरे जोश-ए-ग़म की है अजब कहानी

मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने

क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता

कुछ मैं ने कही है न अभी उस ने सुनी है

कुछ दिन की रौनक़ बरसों का जीना

किसी गुमान-ओ-यक़ीं की हद में वो शोख़-ए-पर्दा-नशीं नहीं है

किस मस्त अदा से आँख लड़ी मतवाला बना लहरा के गिरा

ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें

करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से

कहीं सर पटकते दीवाने कहीं पर झुलसते परवाने

जो दिल साथ छुटने से घबरा रहा है

जो बुत है यहाँ अपनी जा एक ही है

जितना था सरगर्म-ए-कार उतना ही दिल नाकाम था

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