तस्कीन-ए-दिल का ये क्या क़रीना
तस्कीन-ए-दिल का ये क्या क़रीना
रोकूँ जो नाला फट जाए सीना
बढ़ती उमंगें क्या पर बनेंगी
है किस हवा में दिल का सफ़ीना
हैं क्या मुअम्मा ये आग पानी
पीता हूँ आँसू जलता है सीना
ग़म तुझ को प्यारा तू मुझ को प्यारी
दिल की तमन्ना नाज़ुक हसीना
आज उस ने आँसू हँस हँस के पोंछे
ख़ुश्की में उभरा डूबा सफ़ीना
तारीख़ दिल की ख़ुद नक़्श-ए-दिल है
खा खा के चोटें चटका नगीना
टूटा हुआ दिल उल्फ़त भरा था
ढा कर इमारत पाया दफ़ीना
हद्द-ए-ख़िरद से ज़ात उस की बरतर
ऊँची है मंज़िल नीचा है ज़ीना
तुम 'आरज़ू' हो तुम 'आरज़ू' हो
फिर कैसी रंजिश फिर कैसा कीना
(761) Peoples Rate This