आरज़ू लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरज़ू लखनवी (page 2)
नाम | आरज़ू लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Arzoo Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1873 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Karachi |
कुछ तो मिल जाए लब-ए-शीरीं से
कुछ कहते कहते इशारों में शर्मा के किसी का रह जाना
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
किस काम की ऐसी सच्चाई जो तोड़ दे उम्मीदें दिल की
किस गुल की बू है दामन-ए-दिल में बसी हुई
ख़ुशबू कहीं छुपी है मोहब्बत के फूल की
ख़िज़ाँ का भेस बना कर बहार ने मारा
ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी ऐ आरज़ू कितनी
ख़मोश जलने का दिल के कोई गवाह नहीं
ख़ाली न अंदलीब का सोज़-ए-नफ़स गया
कर पहले दिल पे क़ाबू जामे की फिर ख़बर ले
कम न थी तेग़ से अदा-ए-ख़िराम
कम जो ठहरे जफ़ा से मेरी वफ़ा
कह के ये और कुछ कहा न गया
जोश-ए-जुनूँ में वो तिरे वहशी का चीख़ना
जो कान लगा कर सुनते हैं क्या जानें रुमूज़ मोहब्बत के
जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
जज़्ब-ए-निगाह-ए-शोबदा-गर देखते रहे
जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं
जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं
इस छेड़ में बनते हैं होश्यार भी दीवाने
हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है
हम को इतना भी रिहाई की ख़ुशी में नहीं होश
होश-ओ-बे-होशी की मंज़िल एक है रस्ते जुदा
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर
हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा
हर नफ़स इक शराब का हो घूँट
हर इक शाम कहती है फिर सुब्ह होगी