कर पहले दिल पे क़ाबू जामे की फिर ख़बर ले
दामन बचाने वाले जाती है आस्तीं भी
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ख़मोश जलने का दिल के कोई गवाह नहीं
हल्का था नदामत से सरमाया इबादत का
ऐ जज़्ब-ए-मोहब्बत तू ही बता क्यूँकर न असर ले दिल ही तो है
देखें महशर में उन से क्या ठहरे
वअ'दा सच्चा है कि झूटा मुझे मालूम न था
वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से
मिरे जोश-ए-ग़म की है अजब कहानी
सीने में ज़ब्त-ए-ग़म से छाला उभर रहा है
कह के ये और कुछ कहा न गया
ऐ मिरे ज़ख़्म-ए-दिल-नवाज़ ग़म को ख़ुशी बनाए जा
धारे से कभी कश्ती न हटी और सीधी घाट पर आ पहुँची
बग़ौर देख रहा है अदा-शनास मुझे