इश्क़ की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ
इश्क़ की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ
यूसुफ़-ए-दिल का ख़रीदार कहाँ से लाऊँ
सुनते ही नग़्मों की इक लहर रगों में दौड़े
मैं तिरी शोख़ी-ए-गुफ़्तार कहाँ से लाऊँ
वही शोरीदा-सरी है वही ईज़ा-तलबी
इश्क़ में जादा-ए-हमवार कहाँ से लाऊँ
हो गईं आँखों से वो मस्त निगाहें ओझल
इशरत-ख़ाना-ए-ख़ुम्मार कहाँ से लाऊँ
दिल की धड़कन में सुना करता था पैग़ाम तिरा
अब वो हंगामा-ए-बिस्यार कहाँ से लाऊँ
उस पर आईना हो किस तरह हक़ीक़त दिल की
शौक़-ए-मिन्नत-कश-ए-इज़हार कहाँ से लाऊँ
मा'बद-ए-दिल में परस्तार-ए-मोहब्बत हूँ 'असर'
रविश-ए-काफ़िर-ओ-दीं-दार कहाँ से लाऊँ
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