फबा है रुख़ पे तिरे ख़ुश-नुमा सनम लेकिन
हमेशा गुल पे ये शबनम रहे रहे न रहे
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1015) Peoples Rate This
ये न आने के बहाने हैं सभी वर्ना मियाँ
तेरे कूचे में नक़्श-ए-पा की तरह
तालिब हो वहाँ आन के क्या कोई सनम का
आता है तेग़ हाथ में वो जंग-जू लिए
जिस दिन से यार मुझ से वो शोख़ आश्ना हुआ
आँखों से अपनी 'आसिफ़' तू एहतिराज़ करना
वहशत में सू-ए-दश्त जो ये आह ले गई
इस अदा से मुझे सलाम किया
क्या फ़ाश करूँ ग़म-ए-निहाँ को
जब से मेरे दिल में आ कर इश्क़ का थाना हुआ
मर गया ग़म में तिरे हाए में रोता रोता