तुम ने तो फ़क़त उस की रिवायत ही सुनी है
हम ने वो ज़माना भी गुज़रते हुए देखा
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(678) Peoples Rate This
दे कर पिछली यादों का अम्बार मुझे
दिन के हंगामे जिला देते हैं मुझ को वर्ना
ये देखा जाए वो कितने क़रीब आता है
कुछ और दिन अभी इस जा क़याम करना था
क़ल्ब-गह में ज़रा ज़रा सा कुछ
तेरा ही निशान-ए-पा रहा हूँ मैं
तू भी तो एक लफ़्ज़ है इक दिन मिरे बयाँ में आ
इस गली से उस गली तक दौड़ता रहता हूँ मैं
तिरे फ़लक ही से टूटने वाली रौशनी के हैं अक्स सारे
मैं कि तुम पे बाज़ हूँ
आसमाँ का सितारा न महताब है