वो अफ़तारी से पहले चखते चखते
खुजूरें और पकौड़े खा चुका है
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उमीद
ऐसे बंदों को जानता हूँ मैं
ये दिया मैसेज ट्वीटर पर फ़सादी शख़्स ने
वे बालों में कलर लगवा चुका है
मोअर्रिख़ लिख न दें सुक़रात मुझ को
मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
थका हारा निकल कर घर से अपने
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली
दे रहे हैं इस लिए जंगल में धरना जानवर
है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत का
न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी