कोई यादों से जोड़ ले हम को
हम भी इक टूटता सा रिश्ता हैं
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1141) Peoples Rate This
वक़्त के कटहरे में
चुप-चाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो
तुझ में और मुझ में तअल्लुक़ है वही
ना-रसा
तेज़ हवाएँ आँखों में तो रेत दुखों की भर ही गईं
अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है
जब कभी होंगे तो हम माइल-ए-ग़म ही होंगे
पता नहीं वो कौन था
अबदियत
जाने क्या देखा था मैं ने ख़्वाब में
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं