हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है
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चमक रही है परों में उड़ान की ख़ुशबू
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बँधा हुआ
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
मैं तुम को भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
तुम्हारे घर के सभी रास्तों को काट गई
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
मेरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे