यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
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जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
कहाँ आँसुओं की ये सौग़ात होगी
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा था
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
कौन आया रास्ते आईना-ख़ाने हो गए
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो