पिव बिना दिल मिरा उदासी है
गाह जोगी है गाह सन्यासी है
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यक क़दम राह-ए-दोस्त है 'दाऊद'
जग है मुश्ताक़ पिव के दर्शन का
हुस्न इस शम्अ-रू का है गुल-रंग
जब परी-रू हिजाब करते हैं
हर किताब-ए-सोहबत-ए-रंगीं के मअ'नी देख कर
ख़िर्क़ा-पोशी में ख़ुद-नुमाई है
मस्त हूँ मस्त हूँ ख़राब ख़राब
फ़रियाद सदा-ए-नफ़स आवाज़-ए-जरस है
तेरी अँखियाँ के तसव्वुर में सदा मस्ताना हूँ
दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ
इश्क़ ने तुझ ख़ाल के मुझ कूँ ख़याली किया
दिल कूँ दिलदार के नियाज़ करे