डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत

डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत

रात तारीक सही एक सितारा है बहुत

दर्द उठता है जिगर में किसी तूफ़ाँ की तरह

तब तिरी यादों के दामन का किनारा है बहुत

ज़ुल्म जिस ने किए वो शख़्स बना है मुंसिफ़

ज़ुल्म पर ज़ुल्म ने मज़लूम को मारा है बहुत

राह दुश्वार है पग पग पे हैं काँटे लेकिन

राह-रौ के लिए मंज़िल का इशारा है बहुत

उस को पाने की तमन्ना ही रही जीवन भर

दूर से हम ने मसर्रत को निहारा है बहुत

फ़ासले बढ़ते गए उम्र भी ढलती ही गई

वस्ल का ख़्वाब लिए वक़्त गुज़ारा है बहुत

होंट ख़ामोश थे इक आह भी हम भर न सके

बारहा दिल ने मगर तुम को पुकारा है बहुत

झूटी तारीफ़ से लगता है बहुत डर 'मोना'

मीठी बातों ने ही शीशे में उतारा है बहुत

(1089) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut In Hindi By Famous Poet Elizabeth Kurian Mona. Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut is written by Elizabeth Kurian Mona. Complete Poem Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut in Hindi by Elizabeth Kurian Mona. Download free Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut Poem for Youth in PDF. Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut is a Poem on Inspiration for young students. Share Dubne Wale Ko Tinke Ka Sahaara Hai Bahut with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.