कफ़न ऐ गर्द-ए-लहद देख न मैला हो जाए
आज ही हम ने ये कपड़े हैं नहा के बदले
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डरो न तुम कि न सुन ले कहीं ख़ुदा मेरी
न इंतिहा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है
ज़ब्त अपना शिआर था न रहा
मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं
मर के टूटा है कहीं सिलसिला-क़ैद-ए-हयात
हम हैं उस के ख़याल की तस्वीर
मर कर मरीज़-ए-ग़म की वो हालत नहीं रही
हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था
रोज़ है दर्द-ए-मोहब्बत का निराला अंदाज़
क़िस्सा-ए-ज़ीस्त मुख़्तसर करते