हमें भी अपनी तबाही पे रंज होता है
हमारे हाल-ए-परेशाँ पे मुस्कुराओ नहीं
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(837) Peoples Rate This
ग़ुबार दिल पे बहुत आ गया है धो लें आज
अभी मकाँ मैं अभी सू-ए-ला-मकाँ हूँ मैं
हमारे सामने बेगाना-वार आओ नहीं
क्या बदल दोगे तुम इक नज़र से
तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे
पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके
साज़ दे के तारों को छेड़ तो दिया तुम ने
किस से वफ़ा की है उमीद कौन वफ़ा-शिआ'र है
जब भी शम-ए-तरब जलाई है
गुफ़्तुगू किसी से हो तेरा ध्यान रहता है