किसी पे करना नहीं ए'तिबार मेरी तरह
लुटा के बैठोगे सब्र ओ क़रार मेरी तरह
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ख़ाशाक-ए-वजूद एक भँवर में रहता
'फ़रीद' इक दिन सहारे ज़िंदगी के टूट जाएँगे
क़ाएम रखें आसूदा मकाँ हम दोनों
फैली है अजब आग तुझे इस से क्या
तुम्हें भी भूलने की कोशिशें कीं
तमन्ना अपनी उन पर आश्कारा कर रहा हूँ मैं
सिकंदर हूँ तलाश-ए-आब-ए-हैवाँ रोज़ करता हूँ
कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
होंटों पे दुआ आई मगर आया न तू
जीता हूँ, कहाँ तक मैं जीता ही मरूँ
तस्कीन-ए-दिल और रूह का आराम पिला