क़ाएम रखें आसूदा मकाँ हम दोनों
इक दूजे पर हों मेहरबाँ हम दोनों
चलता रहे हम-राह शराब और कबाब
ऐ काश रहें यूँही जवाँ हम दोनों
Jaun Eliya
Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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हमा-जिहत मिरी तलब जिस की मिसाल अब नहीं
ऐ शाह-ए-जुनूँ तेरे इरफ़ाँ को सलाम
हर मसअले की तह में उतरना नहीं ठीक
किसी पे करना नहीं ए'तिबार मेरी तरह
सिकंदर हूँ तलाश-ए-आब-ए-हैवाँ रोज़ करता हूँ
तुम्हें भी भूलने की कोशिशें कीं
फैली है अजब आग तुझे इस से क्या
तमन्ना अपनी उन पर आश्कारा कर रहा हूँ मैं
जब हश्र में हों पेश अमल के दफ़्तर
रग-ओ-पै में सरायत कर गया वो
बगूला बन के उड़ा ख़्वाहिशों के सहरा में