हर मसअले की तह में उतरना नहीं ठीक
इस ज़िंदगी के हाथों मरना नहीं ठीक
दुनिया में बहुत कर के ये देखा मैं ने
इस दुनिया में कुछ भी करना नहीं ठीक
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
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Gulzar
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ऐ शाह-ए-जुनूँ तेरे इरफ़ाँ को सलाम
ख़ानों में कई ख़ुद को बट कर आया
क़ाएम रखें आसूदा मकाँ हम दोनों
तस्कीन-ए-दिल और रूह का आराम पिला
किसी पे करना नहीं ए'तिबार मेरी तरह
बगूला बन के उड़ा ख़्वाहिशों के सहरा में
तुम्हें भी भूलने की कोशिशें कीं
जब हश्र में हों पेश अमल के दफ़्तर
अक्सर मैं यहाँ मिस्ल-ए-समुंदर आया
रौशन कभी हो जाएँगे दिन रात मिरे
ख़ाशाक-ए-वजूद एक भँवर में रहता