जो रंग उड़ा वो रंग आख़िर लाया
दर्द-ओ-ग़म ओ सोज़-ओ-साज़ क्या क्या पाया
सब जीने का मज़ा मिला मोहब्बत कर के
सद-शुक्र फ़िराक़ को दिखाना आया
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
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मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती
वो चेहरा सुता हुआ वो हुस्न-ए-बीमार
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
बहसें छिड़ी हुई हैं हयात ओ ममात की
पाल ले इक रोग नादाँ ज़िंदगी के वास्ते
रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या जोश-ए-मोहब्बत भी तो हो
तिरी निगाह सहारा न दे तो बात है और
तिरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है
इश्क़ फिर इश्क़ है जिस रूप में जिस भेस में हो
अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
कोमल पद-गामिनी की आहट तो सुनो