क्या ज़िद है कि बरसात भी हो और नहीं भी हो
तुम कौन हो जो साथ भी हो और नहीं भी हो
फिर भी उन्हीं लम्हात में जाने से फ़ाएदा?
पल भर को मुलाक़ात भी हो और नहीं भी हो
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
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सामने आँखों के घर का घर बने और टूट जाए
ख़ादिम-ए-उर्दू-ज़बाँ हूँ शाएरी मकतब मिरा
अजनबी बन के हँसा करती है
तल्ख़ियों में समा के पीता हूँ
दोस्ती अपनी जगह और दुश्मनी अपनी जगह
उन को सज्दा कर लिया महबूब की तस्वीर जान
साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा
जिस्म-ए-शफ़्फ़ाफ़ में शोला सा रवाँ हो जैसे
अर्ज़-ए-दकन में जान तो दिल्ली में दिल बनी
मय-कशी का शबाब बाक़ी है
ऐ गर्दिशो तुम्हें ज़रा ताख़ीर हो गई
कितने जुमले हैं कि जो रू-पोश हैं यारों के बीच