हम तो वहाँ पहुँच नहीं सकते तमाम उम्र
आँखों ने इतनी दूर ठिकाने बनाए हैं
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(787) Peoples Rate This
सोते हैं वो आईना ले कर ख़्वाबों में बाल बनाते हैं
कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
रात उस के सामने मेरे सिवा भी मैं ही था
वो बे-दिली में कभी हाथ छोड़ देते हैं
नाम लिख लिख के तिरा फूल बनाने वाला
ज़िंदगी
रात का हर इक मंज़र रंजिशों से बोझल था
बन से फ़सील-ए-शहर तक कोई सवार भी नहीं
गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक
दिन अंधेरों की तलब में गुज़रा
गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है