शाएर

फ़ित्ना-ए-ख़ुफ़ता जगाए उस घड़ी किस की मजाल

क़ैद हैं शहज़ादियाँ कोई नहीं पुर्सान-ए-हाल

इन ग़रीबों की मदद पर कोई आमादा नहीं

एक शाएर है यहाँ लेकिन वो शहज़ादा नहीं

आहूओं की सुर्मगीं पलकें फ़ज़ा पर हुक्मराँ

छाई हैं अर्ज़ ओ समा पर आहनीं सी जालियाँ

दूर से कोहसार ओ वादी पर ये होता है गुमाँ

ऊँट हैं बैठे हुए उतरा हुआ है कारवाँ

या असर हैं आसमान-ए-पीर पर बरसात के

ख़ेमा-ए-बोसीदा में पैवंद हैं बानात के

और इस ख़ेमे के अंदर ज़िंदगी सोई हुई

तीरगी सोई हुई ताबिंदगी सोई हुई

ऐ 'हफ़ीज़' इन नींद के मातों की मंज़िल से निकल

काम है दरपेश दाम-ए-दीदा-ओ-दिल से निकल

दीदा-ओ-दिल को भी ग़फ़लत के शबिस्ताँ से निकाल

ये जो ख़ामोशी की ज़ंजीरें हैं इन को तोड़ डाल

सुब्ह करने के लिए फिर हाव-हू दरकार है

शुक्र कर सोती हुई दुनिया में तू बेदार है

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Shaer In Hindi By Famous Poet Hafeez Jalandhari. Shaer is written by Hafeez Jalandhari. Complete Poem Shaer in Hindi by Hafeez Jalandhari. Download free Shaer Poem for Youth in PDF. Shaer is a Poem on Inspiration for young students. Share Shaer with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.