आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए
आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
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Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Gulzar
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इश्क़ ने अक़्ल को दीवाना बना रक्खा है
कल ज़रूर आओगे लेकिन आज क्या करूँ
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
आँख कम-बख़्त से उस बज़्म में आँसू न रुका
वफ़ा का लाज़मी था ये नतीजा
रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं
मस्तों पे उँगलियाँ न उठाओ बहार में
इन गेसुओं में शाना-ए-अरमाँ न कीजिए
अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल
हैरान न हो देख मैं क्या देख रहा हूँ
ख़ामोश हो गईं जो उमंगें शबाब की
पिए जा