हफ़ीज़ जौनपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हफ़ीज़ जौनपुरी (page 4)
नाम | हफ़ीज़ जौनपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hafeez Jaunpuri |
जन्म की तारीख | 1865 |
मौत की तिथि | 1918 |
'हफ़ीज़' वस्ल में कुछ हिज्र का ख़याल न था
हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए
गो ये रखती नहीं इंसान की हालत अच्छी
दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया
दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के
दीवाने हुए सहरा में फिरे ये हाल तुम्हारे ग़म ने किया
दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट
दिल में हैं वस्ल के अरमान बहुत
दिल को इसी सबब से है इज़्तिराब शायद
दिल इस लिए है दोस्त कि दिल में है जा-ए-दोस्त
दिल है तो तिरे वस्ल के अरमान बहुत हैं
चाक-ए-दामाँ न रहा चाक-ए-गरेबाँ न रहा
बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था
बिगड़ जाते थे सुन कर याद है कुछ वो ज़माना भी
बताऊँ क्या किसी को मैं कि तुम क्या चीज़ हो क्या हो
बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है
अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है
अफ़्सुर्दगी-ए-दिल से ये रंग है सुख़न में
अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की
अब तो नहीं आसरा किसी का
आप ही से न जब रहा मतलब
आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया
आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया