पानी में भी चाँद सितारे उग आते हैं
आँख से दिल तक वो ज़रख़ेज़ी हो जाती है
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वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे
चाँद बन कर चमकने वाले ने
अंदर की दुनियाएँ मिला के एक नगर हो जाएँ
इक ख़्वाब कि जो आँख भिगोने के लिए है
मेरे उस के दरमियाँ जो फ़ासला रक्खा गया
मौत से पहले जहाँ में चंद साँसों का अज़ाब
दिल को तो बहुत पहले से धड़का सा लगा था
लफ़्ज़ तेरी याद के सब बे-सदा कर आए हैं
अब के उस ने कमाल कर डाला
उस दरबार में लाज़िम था अपने सर को ख़म करते
दरख़्तों पर परिंदे लौट आना चाहते हैं