Love Poetry (page 214)
कर चुके बर्बाद दिल को फ़िक्र क्या अंजाम की
अज़ीज़ लखनवी
जो यहाँ महव-ए-मा-सिवा न हुआ
अज़ीज़ लखनवी
जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए
अज़ीज़ लखनवी
जीते हैं कैसे ऐसी मिसालों को देखिए
अज़ीज़ लखनवी
जाम ख़ाली जहाँ नज़र आया
अज़ीज़ लखनवी
जल्वा दिखलाए जो वो अपनी ख़ुद-आराई का
अज़ीज़ लखनवी
इश्क़ जो मेराज का इक ज़ीना है
अज़ीज़ लखनवी
इस वहम की इंतिहा नहीं है
अज़ीज़ लखनवी
इंतिहा-ए-इश्क़ हो यूँ इश्क़ में कामिल बनो
अज़ीज़ लखनवी
हुस्न-ए-आलम-सोज़ ना-महदूद होना चाहिए
अज़ीज़ लखनवी
हिज्र की रात याद आती है
अज़ीज़ लखनवी
ग़लत है दिल पे क़ब्ज़ा क्या करेगी बे-ख़ुदी मेरी
अज़ीज़ लखनवी
एक ही ख़त में है क्या हाल जो मज़कूर नहीं
अज़ीज़ लखनवी
दुनिया को वलवला दिल-ए-नाशाद से हुआ
अज़ीज़ लखनवी
दिल कुश्ता-ए-नज़र है महरूम-ए-गुफ़्तुगू हूँ
अज़ीज़ लखनवी
दिल का छाला फूटा होता
अज़ीज़ लखनवी
दिल हमारा है कि हम माइल-ए-फ़रियाद नहीं
अज़ीज़ लखनवी
दिल आया इस तरह आख़िर फ़रेब-ए-साज़-ओ-सामाँ में
अज़ीज़ लखनवी
देख कर हर दर-ओ-दीवार को हैराँ होना
अज़ीज़ लखनवी
चश्म-ए-साक़ी का तसव्वुर बज़्म में काम आ गया
अज़ीज़ लखनवी
भड़क उट्ठेंगे शो'ले एक दिन दुनिया की महफ़िल में
अज़ीज़ लखनवी
बाज़ी-ए-इश्क़ मरे बैठे हैं
अज़ीज़ लखनवी
नस्रीं में ये महक है न ये नस्तरन में है
अज़ीज़ हैदराबादी
मुश्किल है इमतियाज़-ए-अज़ाब-ओ-सवाब में
अज़ीज़ हैदराबादी
हुस्न है दाद-ए-ख़ुदा इश्क़ है इमदाद-ए-ख़ुदा
अज़ीज़ हैदराबादी
हम को सँभालता कोई क्या राह-ए-इश्क़ में
अज़ीज़ हैदराबादी
धड़कते हुए दिल के हम-राह मेरे
अज़ीज़ हैदराबादी
देखता हूँ उन की सूरत देख कर
अज़ीज़ हैदराबादी
अयाँ या निहाँ इक नज़र देख लेते
अज़ीज़ हैदराबादी
अभी कुछ है अभी कुछ है अभी कुछ
अज़ीज़ हैदराबादी