Love Poetry (page 5)
मैं रस्ते में जहाँ ठहरा हुआ था
वफ़ा नक़वी
हादसे उम्र-भर आज़माते रहे
देवेश दिक्षित
रोने वालों ने तिरे ग़म को सराहा ही नहीं
बिमल कृष्ण अश्क
सामाँ तो बेहद है दिल में
अनवर शऊर
हवा ही लौ को घटाती वही बढ़ाती है
अमजद इस्लाम अमजद
तिरी तलाश तिरी जुस्तुजू उतरती है
हनीफ़ राही
जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था
ग़ुरूब होते हुए सूरजों के पास रहे
वफ़ा नक़वी
अफ़्सूँ पहली बारिश का
मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी
देख कर वहशत निगाहों की ज़बाँ बेचैन है
गौतम राजऋषि
कोई नहीं था हुनर-आश्ना तुम्हारे बा'द
हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी
रौशनी बन के सितारों में रवाँ रहते हैं
अर्श सिद्दीक़ी
मौसम हो कोई याद के खे़मे नहीं उठते
वफ़ा नक़वी
यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में
असरार ज़ैदी
इमारत हो कि ग़ुर्बत बोलती है
वलीउल्लाह वली
देने वाले तुझे देना है तो इतना दे दे
संजय मिश्रा शौक़
सुब्ह का धोका हुआ है शाम पर
फ़ारूक़ इंजीनियर
हमारे सर पे तब कोई जहाँ होता नहीं था
आशू मिश्रा
ये लाल डिबिया में जो पड़ी है वो मुँह दिखाई पड़ी रहेगी
आमिर अमीर
गुल-बदन गुल-एज़ार आ जाओ
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
कितनी शिद्दत से तुझे चाहा था
महमूद शाम
इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ
अर्श सिद्दीक़ी
मैं तिरे लुत्फ़-ओ-करम का जब से रस पीने लगा
अख़्तर हाशमी
पेश हर अहद को इक तेग़ का इम्काँ क्यूँ है
अली अकबर अब्बास
न आए काम किसी के जो ज़िंदगी क्या है
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
कैसी उफ़्ताद पड़ी
फ़ैसल हाश्मी
ख़्वाबों ख़यालों की अप्सरा
दौर आफ़रीदी
कचरे का ढेर
बुशरा सईद
मेरी दोस्त
हरबंस मुखिया
बेचैनी
दौर आफ़रीदी