न दिल में कोई ग़म रहे न मेरी आँख नम रहे
हर एक दर्द को मिटा शराब ला शराब दे
Mir Taqi Mir
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रात भर तन्हा रहा दिन भर अकेला मैं ही था
गुलशन में ले के चल किसी सहरा में ले के चल
तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे
उस की इक दुनिया हूँ मैं और मेरी इक दुनिया है वो
ज़िंदगी अपनी मुसलसल चाहतों का इक सफ़र
करें सलाम उसे तो कोई जवाब न दे
मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था
ये और बात है कि बरहना थी ज़िंदगी
कोई भरोसा नहीं अब्र के बरसने का
नहीं है तुम में सलीक़ा जो घर बनाने का
दुनिया बहुत क़रीब से उठ कर चली गई