Sad Poetry of Imdad Imam Asar
नाम | इम्दाद इमाम असर |
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अंग्रेज़ी नाम | Imdad Imam Asar |
जन्म की तारीख | 1849 |
मौत की तिथि | 1933 |
जन्म स्थान | Patna |
पा रहा है दिल मुसीबत के मज़े
ख़ुदा जाने 'असर' को क्या हुआ है
ख़ूब-ओ-ज़िश्त-ए-जहाँ का फ़र्क़ न पूछ
बनाते हैं हज़ारों ज़ख़्म-ए-ख़ंदाँ ख़ंजर-ए-ग़म से
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो
सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ
रोते हैं सुन के कहानी मेरी
क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या
मेरे सर में जो रात चक्कर था
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़
किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात
झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या
जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया
दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता
बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक
अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा
अपने दर से जो उठाते हैं हमें