ये कैसी वक़्त ने बदली है करवट
फ़रेब-ए-ज़िंदगी है और मैं हूँ
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Javed Akhtar
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1016) Peoples Rate This
ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते
मिरी चाहतों में ग़ुरूर हो दिल-ए-ना-तवाँ में सुरूर हो
शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है
सिला दिया है मोहब्बत का तुम ने ये कैसा
कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम
मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे
शाख़-दर-शाख़ होती है ज़ख़्मी
तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात
बहार आई तो खुल कर कहा है फूलों ने
उस से मत कहना मिरी बे-सर-ओ-सामानी तक
मोहब्बत में आया है तन्हा अभी रंग
दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा