Hope Poetry of Iqbal Ashhar

Hope Poetry of Iqbal Ashhar
नामइक़बाल अशहर
अंग्रेज़ी नामIqbal Ashhar
जन्म की तारीख1965
जन्म स्थानDelhi

आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की

वो भी कुछ भूला हुआ था मैं कुछ भटका हुआ

तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था

सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वाला

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है

भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है

बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का

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