है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा तू है
गर रूह न पाबंद-ए-तअ'य्युन होती
दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे
मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर
गर नेक दिली से कुछ भलाई की है
क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर
अहवाल से कहा किसी ने ऐ नेक-शिआ'र
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर
है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा
थोड़ा थोड़ा मिल कर बहुत हो जाता है
अस्लाफ़ का हिस्सा था अगर नाम-ओ-नुमूद
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर