ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
पन चक्की
क्या कहते हैं इस में मुफ़्तियान-ए-इस्लाम
अफ़्सुर्दगी और गर्म-जोशी भी ग़लत
देखा तो कहीं नज़र न आया हरगिज़
बे-कार न वक़्त को गुज़ारो यारो
गर जौर-ओ-जफ़ा करे तो इनआ'म समझ
एक वक़्त में एक काम
हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्तिजा से तौबा
तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार
जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
गर्मी का मौसम