देखा तो कहीं नज़र न आया हरगिज़
ढूँडा तो कहीं पता न पाया हरगिज़
खोना पाना है सब फ़ुज़ूली अपनी
ये ख़ब्त न हो मुझे ख़ुदाया हरगिज़
Rahat Indori
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ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
आया हूँ मैं जानिब-ए-अदम हस्ती से
अपने ही दिल अपनों का दुखाते हैं बहुत
कछवा और ख़रगोश
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
छोटे काम का बड़ा नतीजा
अस्लाफ़ का हिस्सा था अगर नाम-ओ-नुमूद
कहते हैं जो अहल-ए-अक़्ल हैं दूर-अंदेश
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
नसीहत
लाखों चीज़ें बना के भेजें अंग्रेज़
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर