गर्मी का मौसम
जो चाहिए वो तो है अज़ल से मौजूद
जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल
दाल की फ़रियाद
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर
जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
दुनिया को न तू क़िबला-ए-हाजात समझ
ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से
वाहिद मुतकल्लिम का हो जो मुंकिर
कहते हैं सभी मुसदाम अल्लाह अल्लाह
गर जौर-ओ-जफ़ा करे तो इनआ'म समझ