एक कम-सिन हसीन लड़की का
यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम
यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर
यूँ दिल की फ़ज़ा में खेलते हैं
याद-ए-माज़ी में यूँ ख़याल तिरा
हुस्न का इत्र जिस्म का संदल
चंद लम्हों को तेरे आने से
तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-शफ़क़
आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर
उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम
आ कि इन बद-गुमानियों की क़सम
इस हसीं जाम में हैं ग़ल्तीदा