वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
ज़ब्त-ए-गिर्या
बरसात है दिल डस रहा है पानी
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम