बरसात है दिल डस रहा है पानी
फ़ुर्क़त में तिरी झुलस रहा है पानी
दिल में कभी चुभता है कलेजे में कभी
आड़ा-तिरछा बरस रहा है पानी
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1028) Peoples Rate This
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
ज़ब्त-ए-गिर्या
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है