दुश्मनी ने सुना न होवेगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया
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क़त्ल-ए-आशिक़ किसी माशूक़ से कुछ दूर न था
आगे ही बिन कहे तू कहे है नहीं नहीं
यक-ब-यक नाम ले उठा मेरा
टुक ख़बर ले कि हर घड़ी हम को
रात मज्लिस में तिरे हुस्न के शोले के हुज़ूर
हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें
दिल मिरा फिर दुखा दिया किन ने
कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना
जग में आ कर इधर उधर देखा
हम ये कहते थे कि अहमक़ हो जो दिल को देवे
समझना फ़हम गर कुछ है तबीई से इलाही को
तुझी को जो याँ जल्वा-फ़रमा न देखा