हम ये कहते थे कि अहमक़ हो जो दिल को देवे
देखें तो छीन ले दिल हम से वो कौन ऐसा है
सो अब इक शख़्स के है ज़ेर-ए-क़दम सर अपना
सच कहा है कि बड़े बोल का सर नीचा है
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1374) Peoples Rate This
उन लबों ने न की मसीहाई
वहदत में तेरी हर्फ़ दुई का न आ सके
मिरा जी है जब तक तिरी जुस्तुजू है
मुझ को तुझ से जो कुछ मोहब्बत है
कुंज-कावी जो की सीने में ग़म-ए-हिज्राँ ने
सैर-ए-बहार-ए-बाग़ से हम को मुआ'फ़ कीजिए
हम भी जरस की तरह तो इस क़ाफ़िले के साथ
'दर्द' कुछ मालूम है ये लोग सब
या-रब ये क्या तिलिस्म है इदराक-ओ-फ़हम याँ
मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था
नामा-ए-दर्द को मिरे ले कर