या-रब ये क्या तिलिस्म है इदराक-ओ-फ़हम याँ
दौड़े हज़ार आप से बाहर न जा सके
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उन लबों ने न की मसीहाई
अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके
कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना
हम ये कहते थे कि अहमक़ हो जो दिल को देवे
रब्त है नाज़-ए-बुताँ को तो मिरी जान के साथ
वहदत में तेरी हर्फ़ दुई का न आ सके
मुझ को तुझ से जो कुछ मोहब्बत है
मदरसा या दैर था या काबा या बुत-ख़ाना था
तोहमत-ए-चंद अपने ज़िम्मे धर चले
ने गुल को है सबात न हम को है ए'तिबार