मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
एक मुद्दत सितम उठाने पर