वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
दफ़अतन आज जगमगाए हैं
नूर बरसे न क्यूँ शबिस्ताँ में
एक मुद्दत में आप आए हैं
Jaun Eliya
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रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ