दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
इक मह-जमाल आज रहा महव-ए-इंतिज़ार
ग़ुंचों के बादा-रेज़ तबस्सुम से जिस तरह
रंगीनियों में ग़र्क़ गुलिस्तान-ए-पुर-बहार
Javed Akhtar
Gulzar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Anwar Masood
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आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
एक मुद्दत सितम उठाने पर
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
फिर किसी बात का ख़याल आया