हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
ने तीर कमाँ में है न सय्याद कमीं में
सोहबत में ग़ैर की न पड़ी हो कहीं ये ख़ू
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी
जान दी दी हुई उसी की थी
हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे
क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए
नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई